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होलिस्टिक प्रोग्रेस कार्ड: अब शैक्षणिक के साथ भावनात्मक विकास का भी मूल्यांकन

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  • हिमाचल प्रदेश के सरकारी स्कूलों में छठी से आठवीं कक्षा के विद्यार्थियों के लिए होलिस्टिक प्रोग्रेस कार्ड (एच.पी.सी.) जारी होंगे।
  • 9वीं से 12वीं कक्षा के विद्यार्थियों को फाइनांशियल लिटरैसी, करियर अवेयरनैस, और लाइफ स्किल की शिक्षा प्रदान की जाएगी।
  • मैजिक बस इंडिया फाउंडेशन के साथ समझौता (MOU) साइन हुआ है, जिससे रोजगार शिक्षा को बढ़ावा मिलेगा।

हिमाचल प्रदेश के सरकारी स्कूलों में छात्रों की प्रगति का आकलन करने के लिए एक नई पहल शुरू की जा रही है। समग्र शिक्षा के तहत प्रदेश के सरकारी स्कूलों के छठी से आठवीं कक्षा के विद्यार्थियों के लिए होलिस्टिक प्रोग्रेस कार्ड (एच.पी.सी.) जारी किए जाएंगे। यह एक बहुआयामी प्रगति रिपोर्ट होगी, जो विद्यार्थियों की शैक्षणिक उपलब्धियों के साथ उनके सामाजिक, भावनात्मक और मानसिक विकास को भी मापेगी।

इसके साथ ही, समग्र शिक्षा ने 9वीं से 12वीं कक्षा के विद्यार्थियों को फाइनांशियल लिटरेसी, करियर अवेयरनेस, और लाइफ स्किल्स सिखाने का भी निर्णय लिया है। इस पहल का उद्देश्य सरकारी स्कूलों के विद्यार्थियों को रोजगार से जोड़ना और उनके जीवन कौशल को विकसित करना है। इसके तहत विशेष रूप से छात्राओं को भी जीवन कौशल और रोजगार-पूरक शिक्षा से लैस किया जाएगा। इस दिशा में हाल ही में मैजिक बस इंडिया फाउंडेशन के साथ एक समझौता (MOU) साइन किया गया है।

हिमाचल प्रदेश का यह प्रयास अन्य राज्यों से अनोखा है, क्योंकि किसी भी अन्य राज्य में इस प्रकार का होलिस्टिक प्रोग्रेस कार्ड जारी नहीं किया गया है। इस कार्ड में छात्रों की परीक्षाओं और प्रोजेक्ट के अंकों के अलावा उनकी उपस्थिति, अनुशासन, और कक्षाओं में प्रदर्शन के आधार पर भी अंक दिए जाएंगे। इसके साथ ही छात्रों के माता-पिता और सहपाठियों के फीडबैक के माध्यम से स्व-मूल्यांकन भी शामिल होगा, जो उनके समग्र विकास को बढ़ावा देगा।

 

होलिस्टिक प्रोग्रेस कार्ड 


यानी समग्र प्रगति कार्ड, बच्चों के शैक्षणिक प्रदर्शन का आकलन करने का एक नया तरीका है. यह एक व्यापक मूल्यांकन प्रणाली है, जो अंकों या ग्रेड पर निर्भर नहीं करती. इसमें बच्चों के शारीरिक, सामाजिक-भावनात्मक, साक्षरता, अध्ययन, और अन्य क्षेत्रों में उनके प्रदर्शन को ग्रेड किया जाता है. इसमें परीक्षाओं और प्रोजेक्ट के अंक के साथ-साथ अनुशासन, उपस्थिति, नोटबुक तैयार करने जैसी गतिविधियों के अंक भी शामिल होते हैं